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बाबा साहेब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना

बाबा साहेब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना का परिचय

बाबा साहेब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित एक प्रमुख रोजगार सृजन कार्यक्रम है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह योजना मूल रूप से 1991 में अम्बेडकर विशेष रोजगार योजना के रूप में शुरू हुई थी, लेकिन 11 नवंबर 2019 को उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद की बैठक में इसका नाम परिवर्तित कर बाबा साहेब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना रखा गया। योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण नवयुवकों को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना, स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर सतत रोजगार उपलब्ध कराना तथा शहरी पलायन को रोकना है। यह सभी जाति, वर्ग और धर्म के लोगों के लिए खुली है, विशेषकर अनुसूचित जाति/जनजाति और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है।

योजना के उद्देश्य

योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर केंद्रित है, जहां युवाओं की ऊर्जा को परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए उपयोगी बनाया जाता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय उपलब्धता और दक्षता के आधार पर रोजगार के अवसर पैदा करती है, जिससे परिवारों की आय में वृद्धि हो और शहरों पर अतिरिक्त बोझ कम हो। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित यह योजना उद्योग, व्यवसाय और सेवा क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देती है। किसी भी प्रकार की कठिनाई के निराकरण हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है, जो योजना को अधिक प्रभावी बनाता है।

पात्रता मानदंड

योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 65 वर्ष होनी चाहिए। परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, और आवेदक ग्रामीण क्षेत्र का स्थानीय निवासी होना आवश्यक है। कोई भी उद्यमशील व्यक्ति जो अपना व्यवसाय या उद्योग शुरू करने में रुचि रखता हो, आवेदन कर सकता है। अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि सामान्य वर्ग के लिए भी पूर्ण पात्रता है। आवेदन के समय आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

लाभ और सहायता

योजना के तहत परियोजना लागत व्यवसाय क्षेत्र के लिए अधिकतम 2 लाख रुपये और उद्योग/सेवा क्षेत्र के लिए 5 लाख रुपये तक हो सकती है। चयनित लाभार्थियों को बैंक से रियायती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। अनुदान के रूप में अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग को ऋण का 35% या अधिकतम 70,000 रुपये (जो भी कम हो) तथा सामान्य वर्ग को 25% या अधिकतम 50,000 रुपये (जो भी कम हो) प्रदान किया जाता है। यह सब्सिडी मार्जिन मनी के रूप में दी जाती है, जो स्वरोजगार स्थापित करने में सहायक सिद्ध होती है। उदाहरण के लिए, मुरादाबाद जिले में 2025-26 के लिए प्रत्येक चयनित लाभार्थी को 50,000 रुपये की सब्सिडी का प्रावधान है।

आवेदन प्रक्रिया

आवेदन प्रक्रिया जिला स्तर पर संचालित होती है, जहां इच्छुक व्यक्ति अपने विकास खंड के सहायक विकास अधिकारी से संपर्क कर ऋण आवेदन पत्र जमा कर सकते हैं। चयन साक्षात्कार (इंटरव्यू) के माध्यम से किया जाता है, जिसमें आवेदक को अपना स्टार्टअप आइडिया, बिजनेस प्लान और ऋण आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताना होता है। जिला विकास अधिकारी द्वारा गठित समिति अंतिम चयन करती है। आवेदन पत्र बैंकों को प्रेषित किए जाते हैं, जहां स्वीकृति के बाद ऋण वितरण होता है। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान अवसर उपलब्ध हैं।